अतीत के पन्नों से झाँकते कुछ आधे-अधूरे पल ...

फ़ूल

मैंने एक फ़ूल को छुआ
ओस की एक बूँद टपक पड़ी
छूना तो फ़ूल चाहता था
ना जाने क्या छू गया

प्रभात

तिमिर भरी रात में
मेघना की एक कौंध को
तरस गया था
ऐसी क्षणिक रश्मि तृष्णा भी क्या
कि मैं प्रभात को भूल गया था

नास्तिक

खुद को
नास्तिक समझते हुए भी
मैं आस्तिक हो गया
जीती जागती मूरत समझ
अनजाने में
एक
पत्थर को पूज गया

ओस

ओस के एक कतरे को
फिर
सुमन की कोमल पंखुड़ी का
आलिंगन करता देख
दंभी सूरज ने
उसे जला कर खत्म कर दिया
पर वो भूल गया
रात
फिर वही कतरा
उसी फूल को
अपने दामन में
समेट लेगा

आँखों के पार

इन आँखों के पार एक जहां है
हर रात ढूँढता हूँ वो कहाँ है
वो विहँसते मादक नैना
गेसुओं की महकी छाँव सारी रैना
वो रसीले अधरों का चुम्बन
नर्म नर्म बाँहों का आलिंगन
वो तुम्हारी खुशबू
वो तुम्हारा मेरे बालों में उँगलियाँ फिराना
वो तुम्हारी हँसी
वो तुम्हारा हर बात पे यूँ शरमाना
वो तुम्हारा साथ,
तुम्हारा प्यार, तुम्हारा एहसास
सब कुछ तो है ...
पर आँखें खोलूँ तो कुछ भी नहीं
हर रात मैं ढूँढता हूँ वो कहाँ है
मेरी आँखों के पार जो जहाँ है

एहसास

जब तन्हाईयों की ख़लिश ने मुझे तोड़ दिया
जाब खौफ़ के अंधेरों ने मुझे घेर लिया
तुमने अपनी बाहों में मुझे समेट लिया
उन अश्कों के हर कतरे को
अपने आँचल में तुमने सोक लिया
मेरे हर ग़म हर परेशानी को
अपने दामन में तुमने रोक लिया
मेरी धड़कान मेरी साँस
मेरी उम्मीद मेरी आस
ख़ुद पे विश्वास और ज़िन्दगी का एहसास
मेरी कलाईयों में नब्ज़ भरते
मेरी रूह को आबाद करते
वो दिन भी क्या ख़ास थे, जब तुम हमारे पास थे
पर अब नहीं...
ऐ ख़ुदा
क्या माफ़ करेगा तू कभी ख़ुद की ख़ता
पास ना हो ना सही मेरी रूह में शामिल हो तुम
बिख़र गए हो क़ायनात में हर ज़र्रे में हासिल हो तुम
जब तड़पता हूँ बिफ़र पड़ता हूँ तेरी याद में
और बड़ी बाहें फैलाए और बड़े ही जोश में
भींच लेते हो मुझे तुम प्यार की आघोष में
झोंका हवा का जब कभी गुज़रता है मेरे पास से
तुम गुज़र जाते हो मेरे जिस्म की उस जगह-ए-ख़ास से
जाहाँ एक छोटा सा मन अभी भी बैठा है तुम्हारी आस से
और जब थम जाती है हवा मेरे ही चारों ओर यहीं
तुम ठहर जाते हो बस घुल जाते हो मुझमें हर कहीं
आंखें मूंदूँ तुम ही तुम हो आँखें खोलूँ तो हो तुम
कौन कहता है अब सिर्फ आकाश में रहते हो तुम
तुम तो मेरे पास ही हो हर पल हमेशा से भी ज़्यादा
साथ रहने का कभी हमने किया था जो ये वादा
क्या कान में मेरे नहीं इक बार वही फिर से कहोगे
मेरे प्यार, तुम हमेशा मेरे वज़ूद का हिस्सा रहोगे